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सब्जी तो बहाना है, प्रशासन को धता बताना है।

जहा एक ओर प्रशासन द्वारा जरूरी सामानों की खरीदी के लिए एक निश्चत समय तय किया गया है वहीं दूसरी ओर समाज के जागरूक (ज्यादा होशियार) लोगो द्वारा इसका फायदा कम मजाक ज्यादा उड़ाया जा रहा है। पीएम से लेकर स्थानीय प्रशासन द्वारा लगातार अपील करने के बाद भी इन समाज के दुश्मनों को कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा है।ऐसे में प्रशासन से यही उम्मीद की जा रही है की थोड़ा सख्ती बरते और कोविड19 को 3rd स्टेज में जाने से पहले रोके नहीं तो स्थिति भयावह होने में जरा सी देर नहीं लगेगी फिर प्रशासन कर्फ़्यू लगाए या कुछ भी करेगा उसका परिणाम हताश और स्तब्ध करने वाला ही होगा। प्रशासन के साथ समाज को भी समझाना चाहिए कि आज सब्जी इतनी जरूरी नहीं है की उसके बिना खाया नहीं जा सकता लोगो को बहाना बंद कर घरो में रहना होगा , जिससे इसे फैलने से रोका जा सके वहीं दूसरी ओर पुलिस की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण हैं जिसे पूरी ईमानदारी और समाजसेवा के रूप में करनी पड़ेगी थोड़ी आलोचना हो सकती जिसे नजरअंदाज करते हुऐ अपनी ड्यूटी निभाई जा सकती है। 
सेक्टर टीम करे सख्त कार्रवाई- कलेक्टर द्वारा जिस सेक्टर टीम का गठन किया गया है अगर प्रशासन  थोड़ा सख्त हो कर गांव,कस्बों  में निगरानी करें तो यहां हो रही व्यापारियों के मनमानी और दुकानों में बेबजह की भीड़ में अंकुश लग सकता है पर टीम के साथ पुलिस का होना भी जरूरी है जिससे लोगो में भय का वातावरण बना रहे अभी तक के लॉक डॉउन से यही लग रहा है की जनता प्रशासन को धता बता रही हैं।  और दुकानों में  अनावश्यक भीड़ सहज ही देखने को मिल रहा है कही जिला प्रशासन की ये दरियादिली महंगी ना पड़ जाए आज  समय की मांग है कि दी गई ढील में कमी लाई जाए ।

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